Sunday, September 21, 2008

ओ मनवा रे

ओ मनवा रे,
साध ले तू अमर जीवन, बाँध ले तू अमृत की धारा।
तन तम्बूरे सांसों का ये तार, टूटेगा, कब कौन जाने?
तोड़ के बंधन सारे, डोर गुरु की थामो; यहाँ डोर गुरु की थामो।।
जीवन नैया खेवन चला, कौन भला साहिल है तेरा ?
उफ़ान खाती नदिया ये नाव, डूबेगा, कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
बीते दिन भजन बिना, दुर्लभ ये जनम बिगाड़ा ।
मूरख मन मति को आधार, मिलेगा कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
अदभूत जगत की माया, स्वार्थ करम का सब मारा ।
भाई बन्धु दारा मीत, लूटेगा कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
झूटे सब रिश्ते नाते, तेरे मेरे छोड़ दे ये सारा ।
किसी के प्रीत का ये साथ, छूटेगा कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
जीवन गुरु परम दयाल, प्रभुनाथ सबका सहारा ।
सौंप दे तू अपना ये जीवन, बढ़ेगा ये तू भी जाने !
तोड़ के बंधन सारे, डोर गुरु की थामो; यहाँ डोर गुरु की थामो।।

Saturday, September 20, 2008

होगा भाई धन्य जीवन

होगा भाई धन्य जीवन, साधो ठाकुर चरण।
उनको वरण कर लो।।
सद् गुरु शरण में आओ, शिष्ट सुधि बोधि पाओ।
उनको वरण कर लो।।
होगा ....
देव मनुज सबके धाता, दयाल गुरु जग विधाता।
इष्ट पथ पर मन लगाना, चलना सबको चलाना॥
होगा...
बिन गुरु के जीवन प्यासा, प्रेम भक्ति गुरु निवासा।
सुधा वचन मूर्त कराना, बचना सबको बचाना ॥
होगा...
पुरुषोत्तम गुरुधारा, जल थल सब मुखर सारा।
प्रेम की गंगा बहाना, बढ़ना सबको बढ़ाना॥
होगा भाई धन्य जीवन, साधो ठाकुर चरण।
उनको वरण कर लो।।