Thursday, October 7, 2010

Chhod Ke Jag Moh Ki Maaya

छोड़ के जग मोह की माया 

छोड़ के जग मोह की माया
दयाल तेरे ही शरण में आया
अब कोई हमें भटकाए ना ||
काली घटा नभ पे छाए
तमस का ही गीत गाये
ढूंढ़ती किरणों की ये माला ||
बीते समय पंख लगाकर
सोया तन मन को जगा कर
मिल गई है दिल की ये आशा ||
किया किसने ऐसा जादू
कण कण जिसके सब है काबू
जोगी भोगी सबने या माना ||
सत्य नूतन शिव भी नूतन
लेकर जीवनवाद नरातन
पुरुषोत्तम ज्योति की धारा ||

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