ओ मनवा रे,
साध ले तू अमर जीवन, बाँध ले तू अमृत की धारा।
तन तम्बूरे सांसों का ये तार, टूटेगा, कब कौन जाने?
तोड़ के बंधन सारे, डोर गुरु की थामो; यहाँ डोर गुरु की थामो।।
जीवन नैया खेवन चला, कौन भला साहिल है तेरा ?
उफ़ान खाती नदिया ये नाव, डूबेगा, कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
बीते दिन भजन बिना, दुर्लभ ये जनम बिगाड़ा ।
मूरख मन मति को आधार, मिलेगा कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
अदभूत जगत की माया, स्वार्थ करम का सब मारा ।
भाई बन्धु दारा मीत, लूटेगा कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
झूटे सब रिश्ते नाते, तेरे मेरे छोड़ दे ये सारा ।
किसी के प्रीत का ये साथ, छूटेगा कब कौन जाने ?
तोड़ के बंधन.....
जीवन गुरु परम दयाल, प्रभुनाथ सबका सहारा ।
सौंप दे तू अपना ये जीवन, बढ़ेगा ये तू भी जाने !
तोड़ के बंधन सारे, डोर गुरु की थामो; यहाँ डोर गुरु की थामो।।
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